न्याय की उम्मीद में मर गई वो
गैंगरेप के गुहगार कौन
उसके साथ ..एक-एक कर सबने बलात्कार किया था.. उसे घंटों नहीं कई दिनों तक नर्क की जिंदगी जीनी पड़ी थी.. जब वो उन बलात्कारियों के चंगूल से से बचकर भागी तो उसे कई साल तक जिल्लत की जिंदगी जीनी पड़ी... और फिर उनलोगों ने उसे मौत के घाट उतार दिया.. जीते जी न्याय की आस में मर गई वो..कानून के चौखट पर उसकी दलीलें काम ना आई.. उसके साथ बीता हुआ एक-एक पल उस पर हुए गुनाहों की कहानी कहती है... बताती है कि उस मासूम पर क्या बीते होंगे... लेकिन उन हैवानों का क्या.. वो तो उसके जिंदा रहने पर भी मौत काट रहे थे.. मरने के बाद भी खुले में घुम रहे हैं..
अपने ही इलाके के माननीय विधायक और उसके साथियों पर उसने गैंगरेप करने का आरोप लगाया था.. लेकिन उसकी आवाज को अनसुना कर दिया गया.. घटना के तीन साल बाद तक वो न्याय की उम्मीद में भटकती रही.. और उसके गुनहगार विधानसभा में बैठकर छेड़खानी और बलात्कार रोकने पर नए-नए कानून बनाते रहे... जनता को सुरक्षित रहने और रखने की आस जगाते रहे.. लेकिन जब कानून बनाने वाला ही उसे तोड़ने लगे तो फिर क्या होगा...
11 फरवरी को उसकी गला दबाकर हत्या कर दी गई... उसका शव भी उसके गांव के पंचायत भवन के पीछे पड़ा मिला.. गले पर चोट के निशान थे.. लेकिन हत्या किसने की और क्यों की.. इस बारे में पुलिस अभी कुछ नहीं बता रही है.. मौत के चार दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं... थाने में इस बारे में रिपोर्ट लिखवा दी गई है... जांच भी जारी है... लेकिन ये जांच बी उसी बलात्कार की जांच की तरह ना रह जाए.. जिसकी जांच बीते तीन साल से पुलिस कर रही थी.. और नतीजा सिफर था..
यूपी के सुल्तानपुर से विधायक हैं.. अरुण वर्मा.. पहले इन पर लड़की से गैंगरेप करने का आरोप लगा... और अब इसकी हत्या का.. हालांकि विधायक अरुण वर्मा इसे राजनीतिक साजिश करार दे रहे हैं... 18 सितंबर 2013 को गैंगरेप हुआ था... इस केस में विधायक अरुण वर्मा समेत कुल आठ लोग आरोपी थे... विधायक अरुण वर्मा और तीन अन्य को निचली अदालत से क्लीन चिट मिल चुकी है.. हाईकोर्ट में 21 फरवरी को फिर सुनवाई होनी थी... लेकिन इस सुनवाई से पहले ही उसे हमेशा-हमेशा के लिए खामोस कर दिया गया...
विधायक अरुण वर्मा एक बार फिर से मैदान में हैं... सीएम अखिलेश का दावा है कि यूपी में काम बोलता है... लेकिन यहां तो अपराध का बोलबाला है... गैंगरेप पीड़ित लड़की बीते तीन साल से गुहगारों को सजा दिलाना चाहती थी.. लेकिन सबूत के अभाव में गुनहगार बरी हो गए.. और अब उसकी हत्या के बाद भी उम्मीद नहीं लगती कि अपराधी पकड़े जाएंगे और उन्हें सजा होगी... क्योंकि पहले तारीख पर तारीख.. और फिर बाद में सबूतों का अभाव .. गुहगार को सलाखों से पीछे जाने से रोक लेगा...
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