हमें आगे बढ़ना होगा...
आज भले ही हम इक्कसवीं शताब्दी में जी रहे हों मगर हमारी ज़मीनी हकीक़त कुछ और ही है । आज भी इस देश की इक्कीस प्रतीशत जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे जी रही है । जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग मध्य वर्ग इसी संतोष में जी रहा है की आज नही तो कल उसका सपना जरुर पूरा होगा । हाँ, यह बात जरुर है की आर्थिक उदारीकरण ने इनके सपनो को कुछ हद तक पूरा भी किया है । मगर मंजिल अभी बहुत दूर है ।
कहीं हम तो नही ? ज़रा सोचिए!
इसलिए मैं कहता हूँ........
हमें आगे बढ़ना होगा , बढ़ना होगा आगे
पग-पग पर हैं काटें उनको फूल बनाना होगा
हमें आगे बढ़ना होगा , बढ़ना होगा आगे ।
चाहे सूनामी आए या आए भूकंप कहीं पर
लड़ना होगा इससे हमको जितना होगा इसको
हमें आगे बढ़ना होगा , बढ़ना होगा आगे ।
चाहे बेकारी हो या हो भ्रष्टाचार कहीं पर
जूझना होगा इससे हमको मिटाना होगा इसको
हमें आगे बढ़ना होगा , बढ़ना होगा आगे ।
चाहे मजहब का झगड़ा हो या हो झगड़ा वैभव का
तोड़ना होगा बंधन सारा , जोड़ना होगा लोगों को
हमें आगे बढ़ना होगा , बढ़ना होगा आगे ।
एक नया भारत बनाना होगा , करना होगा नव - निर्माण
राष्ट्र को क्षितिज पर पहुँचाना होगा अमर दीप जलना होगा
हमें आगे बढ़ना होगा , हमें आगे बढ़ना होगा ।
पग-पग पर हैं काटें उनको फूल बनाना होगा
हमें आगे बढ़ना होगा , बढ़ना होगा आगे ।
चाहे सूनामी आए या आए भूकंप कहीं पर
लड़ना होगा इससे हमको जितना होगा इसको
हमें आगे बढ़ना होगा , बढ़ना होगा आगे ।
चाहे बेकारी हो या हो भ्रष्टाचार कहीं पर
जूझना होगा इससे हमको मिटाना होगा इसको
हमें आगे बढ़ना होगा , बढ़ना होगा आगे ।
चाहे मजहब का झगड़ा हो या हो झगड़ा वैभव का
तोड़ना होगा बंधन सारा , जोड़ना होगा लोगों को
हमें आगे बढ़ना होगा , बढ़ना होगा आगे ।
एक नया भारत बनाना होगा , करना होगा नव - निर्माण
राष्ट्र को क्षितिज पर पहुँचाना होगा अमर दीप जलना होगा
हमें आगे बढ़ना होगा , हमें आगे बढ़ना होगा ।
जय हिंद !
हमें आगे बढ़ना होगा, भारत, ब्लॉग, blog, Blogger, इंडिया, हिंदी, नीरज, कुछ देर, कविता,
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