नेताजी का 'इंदिरा कनेक्शन'
इंदिरा गांधी के कहने पर गायब हुई नेताजी से जुड़ी फाइलें !
नेताजी सुभाषचंद्र बोस का रहस्य गहराता जा रहा है ... पहले इस बात की खबर आई कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवहार लाल नेहरू ने नेताजी की जासूसी करवाई.. फिर पता चला कि नेताजी की जासूसी की जानकारी ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी MI-5 से भी साझा की जाती थी.. अब एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.. पता चला है कि नेताजी की मौत के रहस्य से जुड़ी कुछ फाइलों को आज से 43 साल पहले ही नष्ट कर दिया गया था.. उस समय पंडित नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थी..
आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिकइंदिरा गांधी के कार्यकाल में नेताजी की मौत के रहस्य से जुड़ी कुछ फाइलों को नस्ट कर दिया गया.. आरटीआई mission netaji संगठन की ओर से दायर की गई थी.. और इसका जवाब पीएमओ की ओर से दिया गया है.. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक फाइल को नष्ट करने की घटना 1972 की है और उस वक्त इंदिरा गांधी पीएम थीं.. कहा जा रहा है कि कुछ फाइलों को नष्ट करने का आदेश सीधे पीएमओ से आया था..
नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मौत का रहस्य करीब 217 सरकारी फाइलों और 70 हजार पन्नों के दस्तावजों में दबा है..एक पूर्व मंत्री के मुताबिक नेताजी से जुड़ी नेहरू की फाइलों को इंदिरा गाँधी के सचिव पीएन हक्सर के कहने पर नष्ट किया गया था। फाइल को नष्ट किए जाने की टाइमिंग भी बेहद अहम है क्योंकि उसी वक्त खोसला आयोग नेताजी की मौत से जुड़े मामले की जांच कर रहा था
सबसे हैरानी की बात ये है कि नेताजी की मौत से जुड़ी फाइल को इंदिरा गांधी के सचिव पीएन हक्सर ने अनवांटेड करार दिया था.. हक्सर ने अपने नोट में लिखा था .. रिकॉर्ड रूम के बोझ को कम करने के लिए अनावश्यक फाइलों को नष्ट किया गया.. ये फाइल उनमें से एक थी..
पीएम कार्यालय की फाइलें हैं...सुनने में आया है कि वो पंडित जी की खास फाइल थी...पीएन हक्सर जो उनके प्रिसिपल सेक्रेटरी थे इंदिरा जी की उनके ऑर्डर पर नष्ट की गई...मेरे ख्याल से कोई हक्सर की दुश्मनी थी नहीं बोस से...तो मैडम ने उनको कहा होगा नष्ट करने के लिए।
ये बात करीब अठाइस साल तक पर्दे में रही। साल 2000 में मुखर्जी आयोग नेताजी की मौत के मामले की जांच कर रहा था। उसने पीएमओ से एक फाइल मांगी.. लेकिन पीएमओ के डायरेक्टर ने आयोग से कहा कि वो फाइल नष्ट की जा चुकी है। बताया जाता है कि इस फाइल को 3 मार्च 1972 को नष्ट कर दिया गया था। फाइल का नंबर था-- 12(226)/56-PM और इसका टाइटल था- "Investigation into the circumstances leading to the death of Subhas Chandra Bose".
आयोग ने पीएमओ से पूछा कि उस फाइल में क्या था और उसे नष्ट क्यों किया गया। पीएमओ का जवाब आया- उस फाइल में कैबिनेट के फैसले का एक पेपर था। इसमें नेताजी की मौत से जुड़े हालात पर जांच का ब्योरा था। उसे 1972 में रूटीन तरीके से नष्ट कर दिया गया।इसके अलावा फाइल नंबर 2 (381)/60-66-PM का भी पता नहीं चल पा रहा है। इस फाइल में नेताजी के अवशेषों को भारत लाने से जुड़े दस्तावेज थे।जब जस्टिस मनोज कुमार मुखर्जी कमीशन काम कर रहा था तो उन्होंने इस मामले की तह में जाने की कोशिश की थी... तो उनको पता लगा कि गृहमंत्रालय और कैबिनेट सेक्रेटेटिएट दो अलग-अलग भाषा में बात कर रहे थे...प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी अलग बात बोल रहा था...पीएम कार्यालय ने कहा था कि आप जाकर कैबिनेट सेक्रेटिएट से पूछें उनके पास में शायद रिकॉर्ड होंगे....कैबिनेट सेक्रेटिएट ने साफ मना कर दिया... तो सरकारों को खुद नहीं पता कि हो क्या रहा है...तो उनका कुछ लोगों का मत ये भी था कि इन लोगों ने फाइल जलाई नहीं है इन लोगों ने छिपा दी है डर के मारे।
बताया जाता है कि नेताजी से जुड़ी कुछ फाइलों को 1969 में भी नष्ट किया गया था... साफ है कि इंदिरा गांधी के कार्यकाल में भी नेताजी के राज पर पर्दा डालने की कोशिश हुई.. अगर सरकार चाहती तो उस समय भी नेताजी के रहस्य से पर्दा उठाया जा सकता था.. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.. और आज तक नेता जी का रहस्य गहराता रहा है.. अब एक बार फिर उन फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग उटी है.. जिनमें नेताजी का राज दफ्न है..
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