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एसीबी चीफ की जासूसी 


भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए एंटी करप्शन ब्यूरो का गठन किया गया था.. दावा है कि इससे दिल्ली में करप्शन पर रोक लगेगी..  लेकिन एंटी करप्शन के ब्यूरो के चीफ के ऑफिस में ही जासूसी उपकरण मिले हैं.. पेन के जैसा दिखने वाला ये जासूसी उपकरण एंटी करप्शन ब्यूरो के चीफ एमके मीणा के उस टेबल पर मिला है जिस पर वो रोज के काम को किया करते हैं.. 

 पेन के जैसा दिखने वाला जासूसी उपकरण पेन के एक बॉक्स में था.. और वो बॉक्स एम के मीणा के टेबल पर रखा था.. मीणा हमेशा की तरह काम कर रहे थे.. तभी उनकी नजर पेन के बॉक्स पर पड़ी.. और फिर जो दिखा उसने मीणा को भी हिला कर रख दिया.. 
 जानकारी के मुताबिक एसीबी चीफ एम के मीणा रोज की तरह अपने दफ्तर में काम कर रहे थे.. तभी उनकी नजर टेबल पर रखी एक पेन के बॉक्स पर गयी.. उस बॉक्स में कई पेन थे.. मीणा एक- एक कर बॉक्स में से पेन निकालने लगे.. तभी उनकी नजर एक ऐसे पेन पर गयी जिसे देखते ही वो हैरान रह गए.. दरअसल पेन की तरह दिखने वाला ये एक जासूसी उपकरण था.. इस पेन में एक माइक लगी थी.. एक ऐसी मशीन जिसके जरिए दूर बैठा शख्स भी बड़ी आसानी से कमरे में हो रही बातों को सुन सकता है.. यानि मीणा क्या बात करते हैं.. किससे क्या कहते हैं.. वो सब इस जासूसी डिवाइस से कोई और सुन सकता था..  हालांकि ये राहत की बात ये थी कि जासूसी डिवाइस स्विच ऑफ थी..एंटी करप्शन ब्यूरो के चीफ एमके मीणा के दफ्तर में जासूसी उपकरण मिलने से हर कोई हैरान है.. किसी को नहीं पता कि ये उपकरण कहां से आया है.. इसे किसने मीणा के ऑफिस में रखा है.. मामले की गहराई से पड़ताल की जा रही है.. लेकिन अब तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है..

मामले के सामने आते ही एसीबी दफ्तर में सनसनी फैल गई... हर तरफ अफरा-तफरी मच गई..  हर किसी के ज़बान पर जासूसी डिवाइस का नाम था..  आनान-फानन में जांच शुरू हो गई.. ये पता लगाने की कोशिश होने लगी कि इतने सुरक्षित दफ्तर में जासूसी डिवाइस कैसे पहुंची.. ये भी पता लगया जा रहा है कि किसी ने गलती से इस डिवाइस को तो यहां छोड़ा या फिर जानबूझकर किसी ने ऐसा तो नहीं किया.. अब तक ये साफ नहीं हो सका है कि कैसे ये जासूसी डिवाइस एसीबी के चीफ के ऑफिस में पहुंचा...  सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ऑफिस के तमाम स्टाफ से इस बारे में पूछताछ की गई.. लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला.. बाद में इस मामले को दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों तक पहुंचाई गई.. इतना ही नहीं उपराज्यपाल के दफ्तर को भी इस बारे में सूचना दी गई.. और मामले की हर पहलू की जानकारी भी दी गई..   मीणा क्या करते हैं.. किससे बात करते हैं.. क्या निर्णय लेते हैं.. इन सब पर किसी की नजर थी.. लेकिन कोई ऐसा क्यों करेगा.. क्यों कोई मीणा पर नजर रखेगा.. इससे उसे क्या फायदा होता.. ये ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब आना अभी बाकी है..

एम के मीणा के दफ्तर में जासूसी के उपकरण मिलने से हर कोई हैरान है.. एक ओर दफ्तर में हड़कंप मचा है वहीं दूसरी ओर राजनीतिक गलियारे में भी इसके खूब चर्चे हैं... आपको बता दें कि एसपी एसएस यादव को हटाकर एमके मीणा को एसीबी का चीफ नियुक्त किया था जिस पर खूब राजनीति हुई थी..दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने मीणा की नियुक्ति का जमकर विरोध किया था..जबतक जांच पूरी नहीं हो जाती ये कहना मुश्किल होगा कि इस पूरी घटना के पीछे कौन लोग हैं.. वो क्या चाहते हैं.. उनकी मंशा क्या है और इससे उन्हें क्या फायदा होने वाले थे.. ये भी साफ नहीं है कि जिसने जासूसी डिवाइस रखवाई उसे अब तक क्या फायदा पहुंचा है.. खैर जांच में जो भी हो ये बड़ा सवाल है कि आखिर इतने सुरक्षित जगह पर जासूसी डिवाइस कैसे पहुंची  ?    

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