मोदी की कविता
मां.. मुझे शक्ति दे
मां, क्या कल सुबह का सूरज भीऐसा ही उदित होगा ?
अभी तो ऐसा ही लग रहा है
अब कल के सूरज के उदित होने का
समय ही कहां शेष है !
पल- दो पल में उदित हो जाएगा !
तो यह सूरज भी आज की पार्श्वभूमि में ही
होगा क्या ?
मां ! शब्द, भावना- सबकुछ
अभी तो सुन्न बन बैठा हूं।
मां, तू ही मुझे शक्ति दे- जिससे मैं
किसी के साथ अन्याय न कर बैठूं, परंतु
मुझे अन्याय सहन करने की शक्ति प्रदान कर।
मां, देख न एक याचक की तरह
रोज तेरे सामने याचना ही करता रहता हूं
तू ही दात्री है, तू ही धात्री है, इसका विश्वास है।
(साक्षी भाव से)
नरेंद्र मोदी
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