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8 हजार की तनख्वाह पाने वाले को मिला 1.5 लाख का तनख्वाह --

पेट्रोगेट कांड कब सुलझेगा ?--



पेट्रोलियम मंत्रालय में जासूसी की खबरों ने कईयों को हैरान किया है.. जासूस जिस तरह से इन कामों को अंजाम दे रहे थे.. उसके पीछे एक बड़े सिंडिकेट का खुलासा हुआ है.. जिसमें कई कंपनियों के बड़े अधिकारी शामिल हैं.. मामला धीरे-धीरे हाई प्रोफाइल और बंहद संगीन बनता दिख रहा है.. पुलिस की मानें तो ये मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा दिख रहा है.. शनिवार को पुलिस ने कोर्ट में बड़ा खुलासा किया है.. पुलिस ने अदालत में ये बताया है कि पकड़े गये 5 कंपनियों के 5 बड़े अधिकारियों के पास से कई अहम दस्तावेज मिले हैं.. और ये दस्तावेज राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हैं.. ज़ब्त किए गये दस्तावेजों के आधार पर पुलिस इन लोगों के खिलाफ गोपनीयता कानून के तहत मुकदमा चलाना चाहती है..
जासूसी मामले में पकड़े गये 5 अधिकारियों में से एक जुबिलेंट एनर्जी के सीनियर एक्जीक्यूटिव सुभाष चंद्रा भी है.. सुभाष चंद्रा  2011 तक पेट्रोलियम मंत्रालय में टाइपिस्ट का काम करता था.लेकिन चंद्रा ने 2011 में नौकरी छोड़ दी.. और अगले साल जुबिलेंट एनर्जी में सीनियर एक्जीक्यूटिव के पद पर ज्वाइन किया.. पेट्रोलियम मंत्रालय में सुभाष चंद्रा की तनख्वाह महज 8 हजार रूपये थी.. लेकिन जुबिलेंट एनर्जी में उसे डेढ़ लाख की सैलरी दी गई.. यानि सुभाष चंद्रा की सैलरी में 20 गुना बढ़ोतरी हो गई.. आपको बता दें कि सुभाष चंद्रा ने 2008 में पेट्रोलियम मंत्रालय ज्वाइन किया था.. लेकिन महज तीन साल में उसने ये नौकरी छोड़ी दी और जुबिलेंट एनर्जी ज्वाइन कर लिया.. जानकारी के मुताबिक चंद्रा ने इस बात को कबूल किया है कि उसने तीन सालों में कई एजेंट्स को अपना दोस्त बना लिया और इसी के बदौलत उसने जुबिलेंट एनर्जी ज्वाइन किया.. सूत्रों के मुताबिक सुभाष चंद्रा के पेट्रोलियम मिनिस्ट्री में काफी जान पहचान है और वो समय-समय पर इसका फायदा भी उठाता था..
इस मामले में पुलिस ने जांच तेज कर दी है.. मंत्रालय के कई बड़े अधिकारियों से भी पूछताछ की जा सकती है..इन अधिकारियों में पेट्रोलियम मंत्रालय के दो संयुक्त सचिव का नाम सामने आ रहा है.. पुलिस इन दोनों अधिकारियों से भी इस मामले में पूछताछ कर सकती है.. साथ ही पुलिस पेट्रोलियम मंत्रालय के ही 6से7 सीनियर अधिकारियों से भी पूछताछ कर सकती है.. ये वही सीनियर अधिकारी हैं.. जिनके कमरों से आरोपियों ने कागजात चुराकर फोटोकॉपी करने की बात कबूली है..

जांच एजेंसी के मुताबिक इन अधिकारियों से ये पूछा जाएगा कि उनके दफ्तर में कौन-कौन आता था ? वे फाइलों को कहा रखते थे ? क्या वो फाइलों को टेबल पर या आलमारी में छोड़कर जाते थे ? क्या वे फाइलें घर भी ले जाते थे ? अगर फाइलों को घर ले जाते थे तो क्या वो इसकी इजाजत लेते थे ?  दरअसल पुलिस उन कड़ियों को जोड़ना चाहती है कि लापरवाही कहां हुई ? अधिकारियों से कहां गलती हुई जिसका फायदा जासूसों ने उठाया ?

दरअसल इस पूरे मामले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.. जिनके जवाब मिलने बाकी हैं..जैसे पेट्रोलियम मंत्रालय में लगे सीसीटीवी एक तय समय पर बंद हो जाते थे.. सुरक्षा अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज क्यों किया ? कड़ी सुरक्षा के बावजूद बाहरी व्यक्ति रात में किसकी मदद से मंत्रालय के अंदर जाते थे ? दफ्तर बंद होने के बाद कई लोग देर शाम मंत्रालय क्यों आते थे ? जूनियर कर्मचारी को ये कैसे पता होता था कि किस फाइल को चुरानी है ? जासूसों को ये कैसे पता होता था कि अहम फाइल कहां रखी है ?
जासूसों के पास डूप्लिकेट चाबी कहां से आई और कैसे जूनियर स्टाफ प्रमुख अधिकारियों के कमरे में इतनी आसानी से चला जाता था ?
क्राइम ब्रांच ने जासूसों के एक ऐसे सिंडिकेट का खुलासा किया जो रात के अंधेरे में.. सभी मंत्रियों, अधिकारियों और कर्मचारियों के चले जाने के बाद इस काम को अंजाम देता था.. ये किसी ने सोचा भी नहीं था.. कि रात के अंधेरे में शास्त्री भवन जासूसों के ज़द में हैं.
तेल-गैस कंपनियों और मंत्रालय के 55 कर्मचारी और अधिकारी जांच के दायरे में हैं.. पकड़े गये लोगों के फोन डिटेल्स से ये भी पता चला है कि गिरफ्तारी से पहले आरोपियों ने कई लोगों से बात की है.. इतना ही नहीं मामले में गिरफ्तारी के बाद कई लोग अचानक छुट्टी पर चले गये हैं.. इधर इस पूरे मामले की जांच जारी है.. क्राइम ब्रांच की टीम ने कल भी दिल्ली और नोएडा के अलगा अलग इलाकों में छापेमारी की थी..

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