पेट्रोगेट कांड का कैसे हुआ खुलासा ?
पेट्रोलियम मंत्रालय में हुई जासूसी सिंडिकेट की ये चंद तस्वीरें हैं.. ये वो तस्वीरें हैं जिसने शास्त्री भवन में जासूसी की घटना को अंजाम दिया है.. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इस मामले में अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया है.. कई चेहरों का पर्दाफाश हुआ है.. और कई चेहरे अब भी शक के दायरे में हैं..यानि जल्द ही पुलिस कुछ और चेहरों को बेनकाब कर सकती है..इन चेहरों में कॉरपोरेट अधिकारी से लेकर पत्रकार और मंत्रालय के कई चेहरे शामिल हैं.. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच इस मामले को सुलझाने में जुटी है.. .. हर दिन नए खुलासे और नई गिरफ्तारियां हो रही हैं..मंत्रालयों में हो रही जासूसी की घटना से सुरक्षा एजेंसियों के साथ हर कोई हैरान है.. मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव में भी भ्रष्टाचार से दूर रहने का ऐलान किया था.. सरकार की इसी सजगता का नतीजा है कि सरकार ने मंत्रालयों में हो रही जासूसी का पर्दाफाश किया.. सरकार ने साफ कर दिया है कि इस मामले में किसी को बख्शा नहीं जाएगा.. और दोषियों को सख्त सजा मिलेगीहम आपको बता दें कि जासूसी के इस राज से पर्दा एक दिन में नहीं उठा है.. ये कई महीनों के कड़ी मेहनत और सतर्कता का नतीजा है कि इस सिंडिकेट का भंडाफोड़ हो सका.. जासूस बेहद शातिर तरीके से इस काम को अंजाम दे रहे थे.. बीते कई सालों से ये लोग मंत्रालय के अहम दस्तावेज पर हाथ साफ कर रहे थे.. कई गोपनीय फाइलों को मंत्रालय से निकालकर उन लोगों तक पहुंचा रहे थे जो इन जानकारियों से करोड़ों के वारे न्यारे करने में जुटे थे..
दरअसल मोदी सरकार के सत्ता सम्हालते ही मंत्रालय में जासूसी की शिकायतें पीएमओ तक पहुंचने लगी थी.. कई गुमनाम शिकायतें पीएमओ में आए.. ये खबर आ रही थी कि मंत्रालय से डॉक्यूमेंट लीक हो रहे हैं.. पावर ब्रोकर्स मंत्रालयों के चक्कर लगा रहे हैं.. इतना ही नहीं एनएसए अजित डोभाल के पास भी ऐसी कई गुमनाम शिकायतें आ रहीं थी..
पीएमओ ने इस पूरे मुद्दे पर एनएसए अजित डोभाल से बात की.. कई मंत्रियों से भी इस बारे में बात की गई.. एनएसए अजित डोभाल इस समस्या को सुलझाने में जुटे थे कि मीडिया में आई एक रिपोर्ट ने उनका ध्यान खिंचा.. ये बीते चार महीने के मेहनत का नतीजा है कि जासूसी के इस राज से पर्दा उठा है.. आपको बता दें कि ये जांच में सबसे बड़ी भूमिका एनएसए अजित डोभाल का है.. अजित डोभाल के कहने पर ही ये जांच शुरू की गई थी.. दरअसल गोपनीय मामलों पर एक मीडिया रिपोर्टिंग के बाद अजित डोभाल का माथा ठनका और उन्होंने इस पर चिता जाहिर करते हुए इसकी जांच के आदेश दिए..
अजित डोभाल ने इन रिपोर्टों पर काबू पाने के लिए नए प्लान बनाने में जुट गये.. कई हाई लेवल मीटिंग की गई.. कई सीक्रेट मीटिंग हुई.. इस मीटिंग में आईबी चीफ.. होम सेकेट्री, कई डिपार्टमेंट्स के सेकेट्री बुलाए गये.. एनएसए अजित डोभाल ने अक्टूबर 2014 में कैबिनेट सेकेट्री अजित सेठ को इस मामले में एक चिट्ठी भी लिखी थी.. उन्होंने लिखा था कि संवेदनशील और गोपनीय जानकारी मीडिया में लीक होना सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं है.. ऐसी रिपोर्टस ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत अपराध है..ज्यादातर जानकारियां सरकारी ऑफिसों से लीक हो रही हैं.. लिहाजा सरकारी अधिकारियों को गोपनीय जानकारी से संबंधित प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए..
बाद में कैबिनेट सेकेट्री अजित सेठ ने भी इस मामले को मंत्रियों के सामने उठाया.. और एक इन हाउस सर्कुलर जारी किया गया.. जिसमें मंत्रालयों के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए गये थेइन निर्देशों के मुताबिक मंत्री किसी भी अनजान शख्श से नहीं मिलेंगे.. अक्सर आने-जाने वाले विजिटर पर नजर रखी जाएगी.. इश्यू किए गये पासिज का वेरिफिकेशन किया जाएगा.. संवेदनशील मंत्रालयों के पासिज पर खास नजर रखी जाए..
कैबिनेट सेकेट्री के निर्देश के बाद कई मंत्रालयों में सख्ती शुरू हो गई.. इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक करीब 18 मंत्रालय जासूसों के रडार पर थे.. आईबी ने भी इस मामले पर जांच शुरू की.. और उसके बाद ही दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इस केस को हाथ में लिया.. और फिर जो हुआ वो सबके सामने हैं..
क्राइम ब्रांच ने जासूसों के एक ऐसे सिंडिकेट का खुलासा किया जो रात के अंधेरे में.. सभी मंत्रियों, अधिकारियों और कर्मचारियों के चले जाने के बाद इस काम को अंजाम देता था.. ये किसी ने सोचा भी नहीं था.. कि रात के अंधेरे में शास्त्री भवन जासूसों के ज़द में हैं..
जासूसों को ट्रैप करने के लिए मंत्रालयों और सरकारी विभागों को अलर्ट किया गया और सुरक्षा कड़ी करने के लिए कहा गया.. मंत्रालयों में सीसीटीवी लगाने का निर्देश जारी हुआ.. लेकिन कई अधिकारियों ने सीसीटीवी लगाने का विरोध किया.. पेट्रोलियम मंत्रालय में भी जब सीसीटीवी लगाए जा रहे थे तो कई अधिकारियों ने इसका विरोध किया.. अधिकारियों की दलील थी की इससे उनके गोपनियता को खतरा हो सकता है.. जब जांच शुरू हुई तो गृह मंत्रालय की अनुमति से दर्जनों फोन कॉल्स इंटरसेप्ट किए गए.. इस दौरान जांच एजेंसियों को कई अहम सबूत हाथ आए..
सूत्रों के मुताबिक जांच के दौरान संदिग्धों तक पहुंच बनाने के लिए कई बार नकली दस्तावेज बनाए गए और दिखावटी बातचीत की गई.. जब नकली दस्तावेज लीक हुए तो संदिग्धों तक पहुंचने का रास्ता साफ हो गया.. पुलिस जासूसों को रंगे हाथ पकड़ना चाहती थी.. यही वजह है कि सही वक्त का इंतजार किया गया.. आखिरकार पूरे सबूतों के साथ जांच एजेंसी ने मंत्रियों और नौकरशाहों से बात की.. इस बारे में एनएसए अजित डोभाल और पीएम नरेंद्र मोदी को भी बताया गया..
इसके बाद फरवरी के दूसरे सप्ताह में इस मामले में दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी को भी शामिल किया गया.. गृह मंत्रालय की सलाह के आधार पर दिल्ली पुलिस को कार्रवाई करने के लिए कहा गया.. जांच एजेंसी ने जासूसी प्रकरण से संबंधित अहम सबूत, कॉल डिटेल, फटोग्राफ, संदिग्धों के फोन नंबर और पते दिल्ली पुलिस को दिए गए.. इन्हीं के आधार पर पुलिस ने आरोपियों को रंगे हाथ पकड़े..
माना जा रहा है कि पिछले कई सालों से जासूसी का ये सिंडिकेट काम कर रहा था.. कई बड़े नकाबपोश चेहरे अभी सामने आने बाकि हैं.. लेकिन ये तय है कि जासूसी का ये नेटवर्क को अगर पकड़ा नहीं गया होता तो सरकार के कई भविष्य की नीतियों पर ग्रहण लग सकते थे..
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