सीवान.. शहाबुद्दीन और समानांतर सरकार
जब सत्ता अपराधियों के समर्थन में खड़ी हो जाए.. जब हुकूमत चलाने वाले लोग हुक्म की तामील में लग जाए.. जब हनक इतनी बढ़ जाए कि प्रशासन घुटने टेक दे और सेवा सत्कार में जुट जाए.. जब माफिया माननीय बन जाए.. जब गुंडा नेता बन जाए.. जब कानून तोड़ने वाले ही कानून बनाने लगे.. तो क्या होगा..
जब कानून व्यवस्था को ताक पर रखकर गुंडों को संरक्षण मिल जाए.. जब अपराधियों के आगे सरकार नतमस्तक हो जाए.. जब पुलिस के सामने ही मनमानी होने लगे.. जब गुंडों के दम पर सत्ता के शिखर पर पहुंचने का रास्ता तय होने लगे.. तब क्या होगा..
बिहार के मौजूदा हालात को देखें तो यही हाल नजर आते हैं.. जेल में बैठा एक शख्स.. जिस पर हत्या और अपहरण के दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं.. जो जेल से ही समानांतर सरकार चलाता हो.. जिसकी मर्जी के बिना इलाके में पत्ता तक ना हिलता हो.. जिसके खौफ से गवाह अदालत में गीता की कसम खाकर झूठ बोल दे.. जो राज्य की सबसे बड़े पार्टी का सिपहसलार हो.. जिसे आरजेडी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह मिली हो.. ऐसे शख्स के रौब को समझा जा सकता है.. आरजेडी के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन एक बार फिर चर्चा में हैं.. गुंडा से नेता बने शहाबुद्दीन पर इस बार एक पत्रकार की हत्या कराने के आरोप लगे हैं.. इस आरोप में कितना दम है.. ये जांच के बाद ही पता चल पाएगा.. शहाबुद्दीन के लिए इस तरह के आरोप कोई नए नहीं हैं..
शहाबुद्दीन को समझने के लिए आपको सीवान की सरहद में जाना होगा.. जहां उनके नाम का सिक्का चलता है.. जहां उनके डर से लोग कांपते हैं.. जहां के जेल में रहकर भी शहाबुद्दीन खुला घुमते हैं.. महज 19 साल की उम्र में शहाबुद्दीन तब चर्चा में आए थे.. जब 1986 में उनके खिलाफ पहली बार आपराधिक मुकदमा दर्ज हुआ था.. जल्दी ही वो हिस्ट्रीशीटर घोषित कर दिए गए.. वो भी 'ए' श्रेणी के.. छोटी उम्र में ही शहाबुद्दीन अपराध की दुनिया में जाना माना नाम बन गये.. राजनीतिक गलियारों में शहाबुद्दीन का नाम उस वक्त चर्चाओं में आया जब शहाबुद्दीन ने लालू प्रसाद यादव की छत्रछाया में जनता दल की युवा इकाई में कदम रखा.. पार्टी में आते ही शहाबुद्दीन को अपनी ताकत और दबंगई का फायदा मिला... पार्टी ने 1990 में विधान सभा का टिकट दिया. शहाबुद्दीन जीत गए.. एक ओर शहाबुद्दीन की जीत का ये सिलसिला जारी था दूसरी ओर उसका खौफ भी बढ़ रहा था.. सत्ता के संरक्षण में शहाबुद्दीन तेजी से अपराध और राजनीति की दुनिया में आगे बढ़े.. पहले राज्य की सबसे बड़ी पंचायत विधानसभा और फिर जल्दी ही देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा में भी पहुंच गए..
स्थानीय अधिकारियों से मारपीट करना शहाबुद्दीन का शगल बन गया था.. बेखौफ शहाबुद्दीन पुलिस वालों पर भी गोली चला देते थे.. मार्च 2001 में जब पुलिस आरजेडी के स्थानीय नेता मनोज कुमार पप्पू के खिलाफ एक वारंट तामील करने पहुंची थी तो शहाबुद्दीन ने गिरफ्तारी करने आए अधिकारी संजीव कुमार को थप्पड़ मार दिया था.. थप्पड़ प्रकरण से पुलिस महकमा सकते में था.. शहाबुद्दीन के खिलाफ इसके बाद पहली बार कड़ी कार्रवाई की गई.. शहाबुद्दीन के घर पर छापा मारा गया.. इस छापेमारी में दो पुलिसकर्मी समेत दस लोग मारे गए.. शहाबुद्दीन के घर से पुलिस ने तीन एके 47 रायफल जब्त किया.. सीवान में शहाबुद्दीन दशकों तक समानांतर सरकार चलाते रहे..
सीवान के प्रतापपुर में एक पुलिस छापे के दौरान उनके पैतृक घर से कई अवैध आधुनिक हथियार, सेना के नाइट विजन डिवाइस और पाकिस्तानी शस्त्र फैक्ट्रियों में बने हथियार बरामद हुए थे... हत्या, अपहरण, बमबारी, अवैध हथियार रखने और जबरन वसूली करने के दर्जनों मामले शहाबुद्दीन पर हैं... अदालत ने शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी...
आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस शख्स पर लोगों के हत्या करने के आरोप सिद्ध हो चुके हैं.. वो शख्स अगर किसी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह पाता है तो क्या होगा.. अगर वो शख्स किसी पार्टी का सलाहकर बनेगा तो जंगल राज नहीं तो फिर क्या आएगा..
टिप्पणियाँ